बाल कविता- *चूहा* - मईनुदीन कोहरी













दो बाल कविताऐं

 

 

बाल कविता- *चूहा* -  मईनुदीन कोहरी

 

 

 

       *चूहा*

 

 

लुकते-छिपते धीरे धीरे ।

बार-बार आता चूहा ।।

 

कपड़ों के अंदर घुस जाता। 

कुतर-कुतर करता चूहा।।

 

जब तक नहीं पकड़ा जाता।

धमा चौकड़ी करता चूहा।।

 

चुन्नू - मुन्नू भागे-दौड़े ।

आंखें मटका डराता चूहा।।

 

दादी कहती पिंजरा लाओ।

तब जाकर मानेगा चूहा।।

 







                                                                                                             मईनुदीन कोहरी, नाचीज बीकानेरी, मो.9680868028


 

 



 



 


   














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