बाल कविता- *चूहा* - मईनुदीन कोहरी













दो बाल कविताऐं

 

 

बाल कविता- *चूहा* -  मईनुदीन कोहरी

 

 

 

       *चूहा*

 

 

लुकते-छिपते धीरे धीरे ।

बार-बार आता चूहा ।।

 

कपड़ों के अंदर घुस जाता। 

कुतर-कुतर करता चूहा।।

 

जब तक नहीं पकड़ा जाता।

धमा चौकड़ी करता चूहा।।

 

चुन्नू - मुन्नू भागे-दौड़े ।

आंखें मटका डराता चूहा।।

 

दादी कहती पिंजरा लाओ।

तब जाकर मानेगा चूहा।।

 







                                                                                                             मईनुदीन कोहरी, नाचीज बीकानेरी, मो.9680868028


 

 



 



 


   














Popular posts
करावल नगर में सोमवार दोपहर गोवंश मिलने से इलाके में हड़कंप मच गयाl सूचना मिलते ही पुलिस के आला अधिकारी मौके पर पहुंचे
जेएनयू बना भारत विरोधियों का अड्डा सत्ता के लिये कर रहें इनका इस्तेमाल
व्यापार मण्डल के व्यापार महोत्सव 2020 का रंगारंग आगाज़ वेंटीलेटर युक्त एम्बुलेंस समाज को समर्पित
डीटीसी में तैनात मार्शल, ड्राइवर और कंडक्टर की सूझबूझ से न केवल एक संदिग्ध मरीज को वक्त पर अस्पताल पहुंचाया जा सका बल्कि कोरोना संक्रमण के खतरे से भी सभी को बचा लिया गया। कर्मियों ने संदिग्ध मरीज को बस में सफर करने देने की बजाय एंबुलेंस और पुलिस के जरिए मरीज को अस्पताल भिजवाया। लॉकडाउन के दौरान पहचान पत्र देखने के बाद ही बसों में प्रवेश का मौका दिया जा रहा है।
तीन मार्च तक न्यायिक हिरासत में भेजा गया शरजील इमाम
Image